फिर ओस की बूंदे बिखर रही चहुँ ओर कुहासा छाया है..पर मिलने तुम नही आई फिर ओस की बूंदे बिखर रही चहुँ ओर कुहासा छाया है..पर मिलने तुम नही आई
एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत भी नजरन्दाज करना ही ... एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत ...
ये इश्क़ है जनाब इसे हम और आप कब समझा पायें हैं। ये इश्क़ है जनाब इसे हम और आप कब समझा पायें हैं।
कहानी जो आज भी जीवंत है कहानी जो आज भी जीवंत है
अब तो यह इश्क मोहब्बत जिस्म से हैऔर दौलत के शौक तिलिस्म से हैं कोई खुद को भुला कर इश्क करे तो इश्क क... अब तो यह इश्क मोहब्बत जिस्म से हैऔर दौलत के शौक तिलिस्म से हैं कोई खुद को भुला क...
बस हर गुज़रते पल के साथ उसकी बेवफाई पे एतबार आया। बस हर गुज़रते पल के साथ उसकी बेवफाई पे एतबार आया।